Realistic-Sensitive Poem – “अग्निवीर”
Realistic-Sensitive Poem – “अग्निवीर” आँखें खोल देने वाली एक संवेदनशील कविता है| भारतीय सेना में भर्ती के लिए बनाई गई अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीरों को बहाल करने की व्यवस्था है| कविता इन्हीं अग्निवीरों को केन्द्रित करके लिखी गयी है | यह कविता भारतीय सेना एवं भारत देश को समर्पित है| Image by Yogendra Singh from pexels.com अग्निवीर न लें हल्के में सेना को, इनके होने से हम | न लें हल्के में सेना को, इनके होने से हम | “ अग्निवीर ” के आने से , हुआ मनोबल कम | कहने को ये अग्निवीर , पर बुझ रही ये आग | सेना में शामिल होने का , घट रहा अनुराग | चार साल की सेवा ही क्या , पल भर में जाएगी बीत | हिन्द की बात करने वालों की , होती नहीं ये रीत| फ़ौजी कहलाने का भाव नहीं , लगते हैं संविदाकर्मी | देशभक्ति का भाव घट रहा , नहीं रहा वर्दी में गर्मी | Read Other Sensitive Poem - "हाशिए का आदमी" यह संकेत बड़े ख़तरे का , ले सकते लाभ चरमपंथी | इनके दिमाग में भर सकते हैं , अतिवादी बड़ी विषग्रंथि | राष्ट्रवाद को ले चलने वाले