Short Poem on Pollution in Hindi - " प्रदूषण"

 Short Poem on Pollution in Hindi - "प्रदूषण" एक जीवंत कविता है| इसके शब्दों को हम भौतिक रूप में प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं व महसूस भी कर सकते हैं| 

प्रदूषण के कारण हमारी धरती अपने अंत की बढ़ रही है| अब भी हम अपनी हरी-भरी धरती को बचा लें| तभी हमारा अस्तित्व बचेगा| प्रस्तुत लघु कविता "प्रदूषण" ख़ास कर दिल्ली के वातावरण को लक्ष्य करके लिखी गयी है|


लघु कविता  – प्रदूषण




अनियोजित विकास के पैमाने पर,

सुख-सुविधाओं से भरपूर शहर।

अनियोजित विकास के पैमाने पर,

सुख-सुविधाओं से भरपूर शहर।

इसलिए देती कुदरत है सज़ा,

बरसाती है और कहर,

बरसाती है और कहर।




इंसान के जुल्म के कारण,

लगती है यमुना एक नहर|

पानी इसका था अति स्वच्छ,

पर बन गयी अब ये है ज़हर| 

हाँ  बन गयी अब ये है ज़हर| 

-कृष्ण कुमार कैवल्य| 


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* प्रतिवर्ष ख़ासकर दिसंबर - जनवरी के बीच 

दिल्ली गैस के चेंबर में तब्दील हो जाती है।

 अतः सतत् विकास अपनाएं |

प्रदूषण से मुक्ति पाएं ||

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