Inspirational-Poem In Hindi "लौट-चलें कुदरत की ओर"

 

Inspirational-Poem In Hindi - लौट चलें कुदरत की ओर" इंसान और प्रकृति के बीच के गहरे अंतर-संबंध को दर्शाता है। 

  दोस्तों, हम कितना भी अप्राकृतिक होना चाहें, प्रकृति हमें ऐसा नहीं होने देगी। क्योंकि प्रकृति के अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व है।

कविता कुछ इस प्रकार है-

 

 

लौट चलें कुदरत की ओर

 

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कहने को तो वानर जात,

मचाते समूह में ये उत्पात|

कहने को तो वानर जात,

मचाते समूह में ये उत्पात|

हैं करते स्पर्धा मानव से,

हम डाल-डाल ये पात-पात|

हम डाल-डाल ये पात-पात|

 

राज सेहत का इनसे लें हम,

पड़ते नहीं कभी ये बीमार|

पूर्ण आश्रित कुदरत पे हों गर,

रोगों से हम न होंगे दो-चार|


Sensitive Poem on Earth in Hindi - "आओ धरा का नाश करें|" 


अप्राकृतिक जितना हम होंगे,

करेंगे जितना कृत्रिम उपभोग|

मन रहेगा हमारा अस्थिर,

होगा कैसे काया निरोग?




 

लौट चलें कुदरत की ओर अब,

आई.टी. जेनरेशन व इनके पिता|

वक्त फिसल रहा है हाथ से,

बेवक्त सज रही सबकी चिता|

वक्त फिसल रहा है हाथ से,

बेवक्त सज रही सबकी चिता|

-कृष्ण कुमार कैवल्य|

 

 

Inspirational-Poem in Hindi “लौट चलें कुदरत की ओर” से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ –

स्पर्धा – प्रतियोगिता

कुदरत – प्रकृति

कृत्रिम – बनावटी

प्रोसेस्ड-फ़ूड – प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ

 

Inspirational-Poem in Hindi “लौट चलें कुदरत की ओर” से संबंधित कुछ अन्य बातें-

आज हम खुद को अप्राकृतिक करते जा रहे हैं। ऐसा सभी अर्थों में हो रहा है। यानी आहार, विहार और विचार सभी में हम ऐसा होते जा रहे हैं। हम प्राकृतिक-उत्पाद् को छोड़कर विभिन्न प्रकार के कृत्रिम उत्पाद् एवं प्रोसेस्ड फूड ग्रहण करते जा रहे हैं। और उपर से इस पर गर्व भी कर रहे हैं।

दूसरी ओर, हम कुदरत का धीरे-धीरे नाश कर धरती से हरियाली को पूर्ण रूप से समाप्त करते जा रहे हैं। हमारा यह असंतुलित विकास पूरी तरह विनाश की ओर बढ़ रहा है; न कि विकास की ओर। वक्त तेजी से निकलता जा रहा है और हमारी सांसें भी। हम अब भी चेत जाएं तो कुछ कल्याण अवश्य हो जाएगा। अन्यथा प्रकृति हमारे प्रत्येक क्रिया को बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया में तब्दील करना अच्छी तरह जानती है। आओ कुदरत की ओर लौट चलें।

मेरी ये कविता उपर्युक्त वाक्यों को रेखांकित करती है। बंदर, मनुष्य एवं प्रकृति को आधार में रखकर मैंने यह कविता लिखी है। आशा है यह रचना आपको पसंद आई होगी।

धन्यवाद्|

 

 

 

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