Heart-Touching Revolutionary-Poem on Poverty in Hindi

Heart-Touching Revolutionary-Poem on Poverty in Hindi  – एक संवेदनशील कविता है| ग़रीबी इंसान से बुरा से बुरा काम करा देती है| यह अनेक पापों की जननी है| इस कविता में ग़रीबी तथा ग़रीब व्यक्ति के विभिन्न आयामों को स्पर्श करने की कोशिश की गयी है| मैंने इस कविता में समाज के विद्रूप चेहरे पर से आवरण हटाकर वस्तुस्थिति से सभी को परिचित कराने का भरसक प्रयास किया है|

 

ग़रीब

दिखता नहीं है गंदा पानी,
हद से गुज़र जाए जब प्यास|
हाल क्या जाने पाप पुण्य का?
जिसका सब हो जाए नाश|
हाल क्या जाने पाप पुण्य का|

Heart-Touching Revolutionary Poem on Poverty in Hindi
 Image by Amber Clay from Pixabay

भूख से कोई तड़प रहा हो
विधि की बात वो क्या जाने?

रखे रह जाते नियम हैं,
ज्ञान शास्त्र का क्या माने?
रखे रह जाते नियम हैं|


जिस पर हुआ हो अत्याचार,
संयम वो कहाँ से लाए?
भरपाई नहीं है इसकी,
बिछड़े अपने वो कहाँ से पाए?
भरपाई नहीं है इसकी|


इज्जत सब कुछ होता ग़रीब का,
इसके लिए वे मरते हैं|
‘हर कीमत पर’ सोंच नहीं उनकी,
संभव प्रयास वे करते हैं|
‘हर कीमत पर’ सोंच नहीं उनकी|


सारे नियम ग़रीब के लिए,
नहीं मिलती सज़ा अमीर को|
एक ख़ुशी के लिए तरसता,
सिलता रहता वो चीर को|
एक ख़ुशी के लिए तरसता|


अपवाद सम्मुख हो सकते हैं,
अभिजन कोई पाया हो सज़ा|
इस्तेमाल कर अपने रसूख का,
दुर्जन लेते मज़ा ही मज़ा|
इस्तेमाल कर अपने रसूख का|

Heart-Touching Revolutionary Poem on Poverty in Hindi

Image by Edward Lich from Pixabay

आज पेट भरा भी नहीं,
कल की चिंता होती है|
दर्द नहीं सुनता है कोई,
आँखों से बरसता मोती है|
दर्द नहीं सुनता है कोई|


पूरा जीवन दुःख सहते-सहते,
नहीं चेतना रह जाती है|
तेल नहीं रहता दीपक में,
बाती कहाँ जल पाती है?
तेल नहीं रहता दीपक में|

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विद्रोह नहीं कर सकते हैं,
मूरत बने ये रहते हैं|
चेहरे की मायूसी इनकी,
सारी सच्चाई कहते हैं|
चेहरे की मायूसी इनकी|


बदलाव आवश्यक है समाज में,
आज बनें उनकी आवाज़|
इंक़लाब हो अगर ज़रूरी,
कर दें हम इसका आगाज़|
कर दें हम इसका आगाज़|

===कृष्ण कुमार कैवल्य===

Heart-Touching Revolutionary-Poem on Poverty in Hindi के माध्यम से मेरी समाज से एक विनम्र विनती  है –

हमें यह समझना ज़रूरी है कि ‘मौन’ की सीमा क्या है और ‘मुखर’ होने का समय कब आता है? दोनों मामलों में एक जैसा रवैया रखना अनुचित है| साथ ही निष्क्रियता की स्थिति विनाश को लाती है| सिर्फ़ अपने लिए तो जानवर भी जी लेते हैं, परन्तु हमें इंसानियत का परिचय देना ज़रूरी है| संवेदनहीन होकर जीने से अच्छा है मानवीय मूल्यों की रक्षा में ख़ुद को यज्ञ की बलि-बेदी पर समर्पित कर देना| साहित्य का भी काम है – समाज में जागृति लाना| धन्यवाद|

 Heart-Touching Revolutionary-Poem on Poverty in Hindi – इस कविता को आप तक प्रस्तुत करते हुए मुझे कुछ महापुरुषों की गरीबी पर महत्वपूर्ण टिप्पणियों को यहाँ देना प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है|

 Some important quotes

  • “यदि कोई एक व्यक्ति भी ऐसा रह गया जिसे किसी भी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा।“ –लाल बहादुर शास्त्री|
  • “मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई भूखा ना हो, अन्न के लिए आँसू बहता हुआ” – सरदार वल्लभ भाई पटेल|
  • “क्या तुम्हें पता है कि दुनिया में सबसे बड़ा पाप ग़रीब होना है| ग़रीबी एक अभिशाप है| यह एक सज़ा है” – सरदार भगत सिंह|

 

Heart-Touching RevolutionaryPoem on Poverty in Hindi से जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ –

आयाम – विस्तार, अधिकतम सीमा|
आवरण – परदा(cover)
विद्रूप – बिगड़ा हुआ रुप, कुरूप, भद्दा, बदसूरत|
मौन – ख़ामोश, चुप|
मुखर – वाचाल, वाक्पटु|
जागृति – जागरण|
विधि – क़ानून|
शास्त्र – अनुशासन या उपदेश करना, विज्ञान|
(यहाँ शास्त्र से तात्पर्य है –  1. जन-सामान्य के भले के लिए विधि-विधान बतलाने वाले धार्मिक-ग्रन्थ|
2. ऐसी धार्मिक पुस्तक जिसमें आचार, विचार, नीति आदि के बारे में बतलाया गया हो)|
हर कीमत पर – किसी चीज़ को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार|
सम्मुख – सामने|
चीर – कपडा, वस्त्र|
अभिजन – धनाड्य वर्ग, अमीर वर्ग, अभिजात वर्ग, संभ्रांत वर्ग|
अपवाद – सामान्य धारणा या आकलन की जगह नया परिणाम, अत्यंत विरल|
रसूख – प्रभाव, पहुँच|
चेतना – ज्ञानमूलक मनोवृत्ति (consciousness)|
मूरत – मूर्ति|
मायूसी – उदासी, निराशा|
ग़रीब वर्ग की आवाज़ बनना (voice of poor people) – ग़रीब तबके के हक़ के लिए हर संभव (तन, मन व धन से) प्रयास करना|
इंक़लाब – क्रांति|
आगाज़ – शुरुआत, प्रारम्भ, आरम्भ, शुरू|
{तेल नहीं रहता दीपक में,
बाती कहाँ जल पाती है? इस कथन का भावार्थ है – ग़रीब का जीवन उस सूखे पत्ते की तरह होता है, जिसे उचित पोषण (nutrition) कभी नहीं मिलता और अपने वृक्ष से वह जल्द ही गिरकर मृत हो जाता है| यहाँ वृक्ष समाज का तथा पत्ता उस वृक्ष रूपी समाज में  रहने वाले ग़रीब का प्रतीक है|
दूसरे शब्दों में, ग़रीब/ग़रीब का परिवार शारीरिक, मानसिक, आर्थिक रूप से उसी प्रकार समाप्ति की ओर उन्मुख/अग्रसर हो जाता है, जिस प्रकार तेल बिना जलती बाती|


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