Sensitive-Realistic Poem in Hindi – “सफ़ाईवाला”

Sensitive-Realistic Poem in Hindi – “सफ़ाईवाला” एक ऐसी कविता है जो सफ़ाई की महत्ता बताते हुए मनुष्य की समानता को रेखांकित करती है| सफ़ाई का इतना महत्त्व होता है कि युद्ध जैसे वीभत्स कृत्य भी गंदगी में नहीं होते| इस कविता के माध्यम से एक सफ़ाई कर्मचारी की मनःस्थिति को मानव की गरिमा से भी जोड़कर प्रस्तुत किया गया है जो इस प्रकार है|

कविता – सफ़ाईवाला

Person Cleaning the streets
 Image by Daniel Kirsch from Pixabay


कहते हो मुझको कचरावाला,
नहीं मैं कचरा वाला|
काम मेरा है साफ़-सफ़ाई,
मैं सफ़ाईवाला|


बहुत गंदा काम मैं करता,
नज़रों में आम लोगों की|
रखता स्वच्छ मुहल्ल्लों को मैं,
गड्ढों, कुड़ों, नालों की|


जिन कचरों को उठाता मैं हाथ से,
छूते भी नहीं उनको तुम|
सेवा का है काम ये मेरा,
हेय दृष्टि रखते तुम|


किसी दिन जब मैं नहीं आता,
दिखता अंबार कचरे का|
गाज पूरा गिरता है मुझ पर,
बनता कारण झगड़े का|


डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू,
या हो कोरोना या बर्ड फ्लू|
खौफ़ से लोग सिमटते हैं घरों में,
पर मैं काम करता ही चलूं|


मेरा भी होता एक घर है,
मेरे भी कई अपने हैं|
अभिलाषा कुछ है मेरी भी,
मेरे भी कई सपने हैं|

Sensitive-Realistic Poem in Hindi – “सफ़ाईवाला”

 Image by Mylene2401 from Pixabay


करते भेद हो क्यों मुझसे तुम?
घृणा-भाव रखते हो क्यों?
दुनिया में सब एक बराबर,
फ़िर हम जैसों के साथ ये क्यों?


कहा कृष्ण ने था जब एक दिन,
कोई बड़ा है न कोई दीन|
सब कुछ कर्म का खेल यहाँ पर,
होते नहीं हैं एक सभी दिन|


राजसूय यज्ञ से ही पहले,
मेहमानों के जूते थे खोले|
अति मधुर वाणी थी उनकी,
कानों में अमृत रस घोले|


फ़िर जूठे पत्तल भी उठाए,
प्रिय सबके वे सदा कहलाए|
बन पार्थ के सारथी युद्ध में,
पूरी कुरु-भूमि पर छाए|

Read Heart-Touching Realistic Poem in Hindi – “प्राइवेट नौकरी”


शाक खाए विदुर के घर में,
अनुरूप नाम के वे बन पाए|
राम जनम में भी उन्होंने,
सबरी के जूठे बेर भी खाए|


ईसा, मुहम्मद या नानक हों,
या हों संत-फ़कीर|
खींचा नहीं कभी उन्होंने,
भेद की कोई लकीर|


कोई काम तब हो नहीं सकता,
न हो जब साफ़-सफ़ाई|
भेद-भाव भी एक ज़हर है,
पैदा करता ये खाई|


चाहिए नहीं दया कोई मुझको,
मैं जो हूँ मानो वही मुझको|
सोंच बदल बनो दिलवाला,
मैं सफ़ाईवाला|
हूँ नहीं मैं कचरावाला,
मैं सफ़ाईवाला|

-—कृष्ण कुमार कैवल्य----


Sensitive-Realistic Poem in Hindi – “सफ़ाईवाला” से जुड़े कुछ शब्दार्थ/भावार्थ –

हेय – निम्न, नीच, तुच्छ|
अम्बार  – ढेर|
गाज – मुसीबत, आफ़त|
अभिलाषा – विशिष्ट इच्छा|
दीन – गरीब, दरिद्र|
राजसूय यज्ञ – किसी राजा द्वारा चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए किया जाने वाला यज्ञ|
पार्थ – अर्जुन|
कुरु-भूमि – कुरुक्षेत्र की भूमि/मैदान|
शाक – साग|
विदुर – महाभारत कालीन हस्तिनापुर के महामंत्री, महान नीतिज्ञ एवं संत|
सबरी – महाकाव्य रामायण के अनुसार राम-भक्ति में लीन एक महान स्त्री, जिनको श्री राम ने माता कहकर संबोधित किया था|


टिप्पणियाँ