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Sensitive-Poem on Farmers in Hindi – “किसान”

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Sensitive-Poem on Farmers in Hindi – “किसान”   दोस्तों ,  किसान किसी भी देश की रीढ़ होते हैं। वे हमारी भूख मिटते हैं। चाहे हम कोई भी व्यवसाय कर लें। यदि किसान उत्पादन न करें तो हमारे पास करोड़ों रुपए होने के बावजूद हम भूखे मर जाएंगे। सारे बड़े-बड़े उद्योग-धंधे , फैक्ट्रियां , कल - कारखाने , अनगिनत कंक्रीट के जंगल सब बेकार हो जाएंगे। आइए इसे कविता के माध्यम से समझें| किसान जाड़ा, गर्मी या बरसात , क्या है दिन और क्या है रात? जाड़ा, गर्मी या बरसात , क्या है दिन और क्या है रात? कृषक को भला चैन कहाँ ? हो पुत्र, पिता या हो फिर तात |   उनकी ज़िंदगी होती नहीं कुछ , सालों भर बस फसल की बात | और कड़ी मेहनत के बावज़ूद मिलता ढाक के तीन पात | Must read another sensitive Poem - "हाशिए का आदमी"  नहीं आकांक्षा विशेष कोई , नसीब में रोटी, नून-भात| दिन कटता है खेतों में, उपज पर ध्यान दिन-रात |   सेठों के वे ताने सुनते , रखते नियंत्रण में जज़्बात| विष जमाने भर का पीते , मानो वे मीरा, सुकरात |   कृषक ज़िंदगी होती एक सी , वो असम हो या हो गुजरात | डर के

Emotional Farewell-Poem in Hindi – “मैडम”

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  Emotional Farewell - Poem in Hindi – “मैडम” विद्यार्थी का अपनी शिक्षिका के प्रति अपार स्नेह व कृतज्ञता प्रदर्शित करती कविता है | यूं तो हर शिक्षक छात्रों के लिए अच्छे होते हैं | फिर भी कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं जो अधिसंख्य विद्यार्थियों के दिलोदिमाग पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं| ऐसे शिक्षकों को वे आजीवन याद रखते हैं | ऐसे ही मनोभावों को शब्दों में पिरोकर इस कविता को मैंने लिखा है |   “मैडम” हम बच्चों के दिलों में आप, हैं सबके लिए नज़ीर | हम बच्चों के दिलों में आप, हैं सबके लिए नज़ीर | शिक्षिका के रूप में लिख रहीं बच्चों की तकदीर |   रखतीं नहीं कोई लाग-लपेट , देती हैं खरा ज़वाब | आपके शिक्षण का तरीका होता है नायब |   काम अधिक और बातें कम , है अनुशासन-प्रिय स्वभाव | स्मरण रहेगा हम सबको , बच्चों से आपका लगाव |   आप विदा हो रहीं स्कूल से, नहीं हो रहीं हैं अलविदा | होगी मुलाकात ज़रूर फिर आपसे शायद वो वक्त हो अलहदा |   Read Another Poem on Child-Psychology - "रिजल्ट"| शिक्षा में योगदान के लिए,   किया जाएगा आपको याद| कमी आपकी खलेगा हम

Realistic-Sensitive Poem – “अग्निवीर”

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Realistic-Sensitive Poem  – “अग्निवीर”   आँखें खोल देने वाली एक संवेदनशील कविता है|  भारतीय सेना में भर्ती के लिए बनाई गई अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीरों को बहाल करने की व्यवस्था है| कविता इन्हीं अग्निवीरों को केन्द्रित करके लिखी गयी है | यह कविता भारतीय सेना एवं भारत देश को समर्पित है|   Image by Yogendra Singh from pexels.com अग्निवीर   न लें हल्के में सेना को, इनके होने से हम | न लें हल्के में सेना को, इनके होने से हम | “ अग्निवीर ” के आने से , हुआ मनोबल कम |   कहने को ये अग्निवीर , पर बुझ रही ये आग | सेना में शामिल होने का , घट रहा अनुराग |   चार साल की सेवा ही क्या , पल भर में जाएगी बीत | हिन्द की बात करने वालों की , होती नहीं ये रीत|   फ़ौजी कहलाने का भाव नहीं , लगते हैं संविदाकर्मी | देशभक्ति का भाव घट रहा , नहीं रहा वर्दी में गर्मी | Read Other Sensitive Poem - "हाशिए का आदमी" यह संकेत बड़े ख़तरे का , ले सकते लाभ चरमपंथी | इनके दिमाग में भर सकते हैं , अतिवादी बड़ी विषग्रंथि |   राष्ट्रवाद को ले चलने वाले

Inspirational-Poem In Hindi "लौट-चलें कुदरत की ओर"

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  Inspirational-Poem In Hindi - लौट चलें कुदरत की ओर"  इंसान और प्रकृति के बीच के गहरे अंतर-संबंध को दर्शाता है।     दोस्तों, हम कितना भी अप्राकृतिक होना चाहें , प्रकृति हमें ऐसा नहीं होने देगी। क्योंकि प्रकृति के अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व है। कविता कुछ इस प्रकार है-     लौट चलें कुदरत की ओर   Image by b13923790 from Pixabay कहने को तो वानर जात , मचाते समूह में ये उत्पात | कहने को तो वानर जात , मचाते समूह में ये उत्पात | हैं करते स्पर्धा मानव से , हम डाल-डाल ये पात-पात | हम डाल-डाल ये पात-पात |   राज सेहत का इनसे लें हम , पड़ते नहीं कभी ये बीमार | पूर्ण आश्रित कुदरत पे हों गर , रोगों से हम न होंगे दो-चार | Sensitive Poem on Earth in Hindi - "आओ धरा का नाश करें|"  अप्राकृतिक जितना हम होंगे , करेंगे जितना कृत्रिम उपभोग | मन रहेगा हमारा अस्थिर , होगा कैसे काया निरोग?   लौट चलें कुदरत की ओर अब , आई.टी. जेनरेशन व इनके पिता | वक्त फिसल रहा है हाथ से , बेवक्त सज रही सबकी चिता| वक्त फिसल रहा है हाथ से , बेवक्त सज रही