Sensitive-Poem on Farmers in Hindi – “किसान”
Sensitive-Poem on Farmers in Hindi – “किसान”
दोस्तों, किसान किसी भी देश की रीढ़ होते हैं। वे हमारी भूख मिटते हैं। चाहे हम कोई भी व्यवसाय कर लें। यदि किसान उत्पादन न करें तो हमारे पास करोड़ों रुपए होने के बावजूद हम भूखे मर जाएंगे। सारे बड़े-बड़े उद्योग-धंधे, फैक्ट्रियां, कल - कारखाने, अनगिनत कंक्रीट के जंगल सब बेकार हो जाएंगे। आइए इसे कविता के माध्यम से समझें|
किसान
जाड़ा, गर्मी या बरसात,
क्या है दिन और क्या
है रात?
जाड़ा, गर्मी या बरसात,
क्या है दिन और क्या
है रात?
कृषक को भला चैन कहाँ?
हो पुत्र, पिता या हो फिर तात|
उनकी ज़िंदगी होती नहीं कुछ,
सालों भर बस फसल की बात|
और कड़ी मेहनत के बावज़ूद
मिलता ढाक के तीन पात|
नहीं आकांक्षा विशेष कोई,
नसीब में रोटी, नून-भात|
दिन कटता है खेतों में,
उपज पर ध्यान दिन-रात|
सेठों के वे ताने सुनते,
रखते नियंत्रण में जज़्बात|
विष जमाने भर का पीते,
मानो वे मीरा, सुकरात|
कृषक ज़िंदगी होती एक सी,
वो असम हो या हो गुजरात|
डर के साए में हैं जीते,
चाहते ईश्वरीय - दृष्टिपात|
लगातार खाते वे मात|
वर्षों-वर्ष बस बीतते जाते,
लगातार खाते वे मात|
आती जाती हैं सरकारें पर
लगातार पाते वे घात|
लगातार पाते वे घात|
- कृष्ण कुमार कैवल्य|
Sensitive-Poem on Farmers in Hindi – “किसान” के सम्बन्ध में कुछ बातें-
किसानों को सदा प्रेरित किया जाए ताकि वे कृषि कार्य में प्रेम से लगे रहें| न कि उनका मानसिक व आर्थिक दोहन हो।
धन्यवाद|
Sensitive-Poem on Farmers in Hindi – “किसान” से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ -
- तात - दादा
- जज़्बात- भावना
- ईश्वरीय दृष्टिपात - ईश्वरीय कृपा
- मात - हार
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