Sensitive-Emotional Poem on Poor in Hindi
Sensitive-Emotional Poem on Poor in Hindi - "हाशिए का आदमी" दिल को छू लेने वाली कविता है| जो ज़िंदगी का कड़वा सच बयां करती है|
महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने ठीक ही कहा था कि "दुनिया में सबसे बड़ा पाप ग़रीबी है|" ये इंसान से कुछ भी करा सकती है|
ग़रीब आदमी की ज़िंदगी रोटी से शुरू होती है और रोटी पर ही ख़त्म हो जाती है| पेट से ऊपर मस्तिष्क के बारे में वे सोचना चाहें भी तो सोच नहीं पाते| कविता कुछ इस प्रकार है -
हाशिए का आदमी
राजा केवल एक दिन के हम,
बाकी दिन बस आम|
तोड़ते हमें हैं ख़ास लोग,
न चेहरा है न नाम|
मिलती दुत्कार है पशुओं जैसी,
हैं करते निरंतर काम|
मर्यादा का रखते ध्यान,
पर फिर भी हम बदनाम|
काम हमारी है पूँजी और
काम रहीम और राम|
काम से बड़ा कुछ भी नहीं,
बस काम ही चारों धाम|
अभिजन के लिए देशी घी,
हमारे लिए है पाम|
उनके लिए खुलता है ट्रैफिक
व हमारे लिए है जाम|
सेठों को नींद आती नहीं,
लेते लंबा आराम|
हम जैसे रख देते जहाँ सर,
हो जाता विश्राम|
कार, बंगला होता नहीं,
न मनोरंजन के आयाम|
बस रेडियो के सरगम और
आशा, अंजान, खैय्याम|
अनाथ हम जैसे आवाम|
कहीं कभी भी हो जाती,
जीवन की हमारी शाम|
कथा हमारी है अनंत,
हम अधनंगों का ये कलाम|
कुछ भी नहीं रक्षित हमारा,
ज़िंदगी तक है ये नीलाम|
कुछ भी नहीं रक्षित हमारा,
ज़िंदगी तक है ये नीलाम|
-कृष्ण कुमार कैवल्य|
Sensitive-Emotional Poem on Poor in Hindi - "हाशिए का आदमी" से जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ -
- एक दिन का राजा - इसका अर्थ यह है कि सामान्य जनता/आम आदमी वोट के दिन राजा होता है| क्योंकि इनके वोट से ही जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं| जो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, आदि बनते हैं|
- "हाशिए का आदमी" - समाज के अंतिम छोर पर खड़ा कमज़ोर आदमी के अर्थ में |
- आशा, अंजान, खैय्याम - मुंबई फ़िल्म उद्योग के जाने माने नाम (क्रमशः महान गायिका, गीतकार और संगीतकार)|
- तिलांजलि देना -छोड़ देना|
- ख़ामियाजा - नतीजा, परिणाम|
- अधनंगा - हाशिए के लोगों/ग़रीब लोगों के लिए प्रयुक्त शब्द (अधिकांश ग़रीब लोग निर्धनता के कारण अपने शरीर को आधा ही ढंक पाते हैं )|
Sensitive-Emotional Poem on Poor in Hindi - "हाशिए का आदमी" से संबंधित एक-दो बातें -
ग़रीब आदमी की सोच भौतिकता से निकलकर आध्यात्मिकता तक नहीं जा पाती| इसके लिए हमारा ही ये क्रूर समाज ज़िम्मेदार है| जब तक आदमी परोपकार को सबसे बड़ा धर्म नहीं समझेगा और अन्याय व अत्याचार की तिलांजलि नहीं देगा; तब तक ये सिलसिला चलता रहेगा|
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