Sensitive-Poem on Bad-man in Hindi- "बुरा इंसान"

 Sensitive-Poem on Bad-man in Hindi- "बुरा इंसान" दुष्ट लोगों पर चोट करती कविता है|

समाज में ग़लत लोगों की कोई कमी नहीं है| बुरे लोग अच्छे लोगों की अच्छाई का नाजायज फायदा उठाते हैं| जबकि ख़ुद अच्छाई का लबादा ओढ़कर रहते हैं| ऐसे लोग अपनी जमात में सच्च्चे इंसान को भी खिंचना चाहते हैं; ताकि भले लोगों की ज़िन्दगी बर्बाद हो सके|
 इसलिए बुरे इंसान से सदा सतर्क व बचकर रहें| जब भी मौका मिले; ऐसे दुष्टों को उनके घर (जेल) पहुंचाने में कोई कसर न छोड़ें| जिएँ और जीने दें|






"बुरा इंसान"

चाहिए ढेर सारा गोबर तो,

अपने दिमाग से निकाल लो तुम।

चाहिए ढेर सारा गोबर तो,

अपने दिमाग से निकाल लो तुम।

नहीं इसकी कमी है तुझ में,

जीते जागते कंकाल हो तुम।

 

 पर चाहते नहीं तुम इसको निकालें,

सड़ाकर खूब गैस इससे बना लें।

कुछ और गिरे आ सकते हों इसमें,

इसके लिए उनको भी मना लें।


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पतन की आखिरी सीमा तक जाएं,

हर कुकर्म शिद्दत से निभाएं।

सफेदपोश सदा ही रहकर,

चरित्र बुरा दुनिया से छूपाएं।

 

 

करैत, नाग से भी जहरीले,

कभी भी किसी का खून तू पी ले।

बढ़ती जा रही तेरी लताएं,

तू खतरनाक कैंसर के टीले।

 

क्षमा करनी नहीं चाहिए कभी भी,

समाज के लिए कलंक हो तुम।

कानूनी शिकंजा बहुत ज़रूरी,

बतलाते पर निष्कलंक हो तुम।




 

तुझसे अति श्रेष्ठ रावण, दुर्योधन,

उनके पैर की तू धुली नहीं।

अपनी कब्र खोद रहा दिन ब दिन,

आंखें अब भी तेरी खुली नहीं।



स्वयं को दोहराता इतिहास क्योंकि

मनुज ग़लती बार-बार करता है।

स्वयं को दोहराता इतिहास क्योंकि

मनुज ग़लती बार-बार करता है।

एक गुनाह का भी खामियाजा

अपनी सारी उम्र वह भरता है।

सारी उम्र वह भरता है।

                        - कृष्ण कुमार कैवल्य |


 Sensitive-Poem on Bad-man in Hindi- "बुरा इंसान" से सम्बंधित शब्दार्थ/भावार्थ -

* अच्छाई का लबादा ओढ़ना - अच्छाई का दिखावा करना|
* पतन - गिरना, क्षय होना, नाश होने के अर्थ में|
* खामियाजा - परिणाम, प्रतिफल|
* शिद्दत - प्रबलता, बहुत गंभीर|
* सफ़ेदपोश - सफ़ेद पोशाक पहनने वाला, सभ्य न होते हुए भी ऐसा होने का ढोंग करने वाला|
* मनुज - मनुष्य, आदमी, इंसान|


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