Realistic-Sensitive Poem – “अग्निवीर”
Realistic-Sensitive Poem – “अग्निवीर” आँखें खोल देने वाली एक संवेदनशील कविता है|
भारतीय सेना में भर्ती के लिए बनाई गई अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीरों को बहाल करने की व्यवस्था है| कविता इन्हीं अग्निवीरों को केन्द्रित करके लिखी गयी है| यह कविता भारतीय सेना एवं भारत देश को समर्पित है|
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अग्निवीर
न लें हल्के में सेना को,
इनके होने से हम|
न लें हल्के में सेना को,
इनके होने से हम|
“अग्निवीर” के आने से,
हुआ मनोबल कम|
कहने को ये अग्निवीर,
पर बुझ रही ये आग|
सेना में शामिल होने का,
घट रहा अनुराग|
चार साल की सेवा ही क्या,
पल भर में जाएगी बीत|
हिन्द की बात करने वालों की,
होती नहीं ये रीत|
फ़ौजी कहलाने का भाव नहीं,
लगते हैं संविदाकर्मी |
देशभक्ति का भाव घट रहा,
नहीं रहा वर्दी में गर्मी|
यह संकेत बड़े ख़तरे का,
ले सकते लाभ चरमपंथी|
इनके दिमाग में भर सकते हैं,
अतिवादी बड़ी विषग्रंथि|
राष्ट्रवाद को ले चलने वाले,
नहीं तोड़ते मनोबल सैनिक का|
वे सैनिक हैं रोबोट नहीं,
सन्दर्भ ये जैविक, नैतिक का|
वैश्विक स्तर पर साख़ बढ़ाया,
भारत-वर्ष का आपने|
फ़िर क्यों सैनिक के कार्यकाल को,
लगे चार साल में मापने?
इससे बहुत कम होंगे सेना में,
उच्च गुणवत्ता के वीर|
शोषण भी संभव सिस्टम में,
सैनिक होंगे अधीर|
सेना का हौसला बढ़ाते रहना,
है आपका दस्तूर|
करबद्ध प्रार्थना है सत्ता से,
इसे ख़त्म कर दें ज़रूर|
अभी आया अग्निवीर,
आगे संभव रेलवीर|
पुलिसवीर, अभियंतावीर,
न जाने लगेंगे कितने तीर?
ठेके पर सेवा में भर्ती,
ये देन नव-उदारवाद की|
निकल रही अर्थी देश में,
समग्र समाजवाद की|
समाजवाद की बात करो तो,
यह दफ़न हो चुका यादों में|
रोज़गार, महँगाई बस,
रह गया चुनावी वादों में|
सेना हो सबसे ऊपर,
सेना है तो हम|
रक्षा से न कोई समझौता,
ये फैक्ट्री है न निगम|
सेना को रखें इतना मज़बूत
कि दुश्मन जाए काँप|
सेना को रखें इतना मज़बूत
कि दुश्मन जाए काँप|
अपनी सेना रहे अजेय,
सदा बना रहे प्रताप|
अपनी सेना रहे अजेय,
सदा बना रहे प्रताप|
- कृष्ण
कुमार कैवल्य|
Realistic-Sensitive Poem – “अग्निवीर” से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ –
अनुराग – विशेष लगाव/प्रेम|
संविदा – नियोक्ता से नियोजित
व्यक्ति का कुछ समय के लिए कार्य करने का एक विशेष प्रकार का समझौता (कॉन्ट्रैक्ट)|
चरमपंथी (Extremist) – किसी चीज, सिद्धांत, नियम, प्रथा आदि की आख़िरी सीमा तक चले जाने वाला व्यक्ति| (यहाँ भी यह नकारात्मक
अर्थ में ही है)|
अतिवादी (Extremist) – अधिक बोलने वाला, वाचाल, (यहाँ इसका अर्थ चरमपंथी ही है)|
विषग्रंथि – विष की थैली|(Poison gland)
साख (Credit) – श्रेय,
अजेय ( Invincible/Unbeaten) – जिसे जीता न जा सके|
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