Poem for Children in Hindi: “रिज़ल्ट”

Poem for Children in Hindi: रिज़ल्ट - यह कविता बाल-मनोविज्ञान को प्रदर्शित करती है|

जिस दिन रिज़ल्ट निकलने वाला होता है, उस दिन बच्चों में कई तरह के मनोभाव आते हैं| और उनसे अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ भी प्राप्त होती हैं| कुल मिलाकर अधिकांश बच्चों में काफ़ी कौतूहल होता हैएक बालक के आंतरिक उद्गार को सकारात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत करती यह लघु कविता सभी बच्चों के लिए प्रेरणा प्रदान करेगी|


रिज़ल्ट





अपने क्लास की संध्या बेला ये,

शिक्षकों पर हमें है नाज़|

प्रगति रिपोर्ट की आयी बारी,

बन ‘पन्ना’ पहनेंगे ताज|

शिक्षकों पर हमें है नाज़|

शिक्षकों पर हमें है नाज़|


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कुछ अधीरता सी हो रही,

अति विशेष दिवस है आज|

मिलेगा सबको मेहनत का फल,

होता नहीं कुछ इसमें राज|

 अति विशेष दिवस है आज|

अति विशेष दिवस है आज|

 

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नियमित पठन का प्रतिफल है ये,

विद्याधन हमारा साज़|

अंक से अधिक ज्ञान ज़रूरी,

हम सब हैं शिक्षा के बाज़|

विद्याधन हमारा साज़|

विद्याधन हमारा साज़|

 

रिज़ल्ट जो अच्छा न हो तब भी,

हों न हम खुद से नाराज़|

अपनी मेहनत के बल पर फिर,

बनेंगे हम पुनः सिराज|

अपनी मेहनत के बल पर फिर,

बनेंगे हम पुनः सिराज|

===कृष्ण कुमार कैवल्य===


 Poem for Children in Hindi: रिज़ल्टसे जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ-

  • Ø  संध्या बेला – सायंकाल, शाम का समय,(यहाँ परीक्षा परिणाम के दिन के लिए प्रयुक्त)|
  • Ø  बाल – बालक|
  • Ø  कौतूहल – जिज्ञासा (Curiosity), उत्सुकता|
  • Ø  आतंरिक उद्गार -मानसिक भाव, मनोदशा|
  • Ø  नाज़ – गर्व, अभिमान|
  • Ø  प्रगति रिपोर्ट (Progress Report) – रिज़ल्ट (Result) , परीक्षा परिणाम|
  • Ø  “पन्ना” (Emerald) – हरे रंग का बहुत कीमत रत्न /पत्थर (यहाँ अमूल्य होने के अर्थ में प्रयुक्त)|
  • Ø  प्रतिफल – परिणाम, नतीज़ा|
  • Ø  विद्याधन – ज्ञान|
  • Ø  साज़- बाजा, वाद्ययंत्र, सामान|
  • Ø  सिराज – दीपक, प्रकाश, रौशनी, नूर, सूर्य|
  • Ø  उन्मुख – उद्धत, आगे/ऊपर की ओर मुख अथवा दृष्टि रखने वाला|

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Poem for Children in Hindi: रिज़ल्ट लिखने के क्रम में मन में आई कुछ ख़ास बातें-

तनाव प्रबंधन (Stress Management) –   दरअसल परीक्षा  के कुछ दिनों पूर्व से लेकर परीक्षाफल तक का समय बच्चों में काफ़ी तनाव पैदा करता है|अतः इस समय ज़रूरी है कि सभी अभिभावक (माता-पिता) एवं स्कूल (शिक्षण-संस्थान) के शिक्षक बच्चों (विद्यार्थियों) के मनोभावों को समझें| उनकी मदद करें, उनके लिए थोड़ा अतिरिक्त समय निकालें| ताकि परीक्षा के दबाव एवं परिणाम के भय से बच्चों को बाहर निकाला जा सके|

शिक्षकों और अभिभावकों द्वारा किये गए ये कार्य “तनाव-प्रबंधन” के अंतर्गत आते हैंविद्यार्थी भी इस दौरान मन को शांत रखें, ख़ुश रहें, सतत और नियमित अध्ययन करें| शिक्षकों के मार्ग-दर्शन में रणनीति के तहत परीक्षा की तैयारी करें| परीक्षा के पश्चात व रिज़ल्ट आने तक स्वयं को रचनात्मक कामों में व्यस्त रखें| और रिज़ल्ट आने के बाद भविष्य के लिए उन्मुख हो जाएँ| इसी को तनाव-प्रबंधन भी कहते है|

धन्यवाद्|

 

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