Mind-blowing poem in Hindi - "टिस"

 

Mind-blowing Poem in Hindi - "टिस" आज के सच को बयां करती कविता है|

यह विकृत होती युवा पीढ़ी को सच का आईना दिखाते हुए उन्हें सही मार्ग पर आने का आह्वान करती है| भले ही यह कविता छोटी है; किन्तु इसके शब्द काफ़ी गहरे हैं|  गंभीरता से पढ़ने पर यह दिल में एक टिस (दर्द ) पैदा करती है| कविता कुछ इस प्रकार है-


टिस


इत्र, परफ्यूम, पाउडर, क्रीम,
देह की नुमाइश तड़क-भड़क।
इत्र, परफ्यूम, पाउडर, क्रीम,
देह की नुमाइश तड़क-भड़क।
इतराना बलखाना, दिखाना,
कपड़े जाएं इरादतन सरक।


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  ये घटिया, छिछला, ओछा और गंदा,
आम चलन बन गया है आज।
अभिभावक की परवाह कहां?
ये त्याग दिए सारे  हैं लाज।

टकराने को होते हैं आतुर,
बिते दिनों की बात मर्यादा।
हर बात में क्रोध व आग जुबां पे,
बदजुबानी बढ़ गई है ज़्यादा।


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ये बात नहीं है विशेष वर्ग की,
बहुसंख्य युवा इसकी चपेट में।
हैं बच्चे, किशोर जो अनगढ़ मिट्टी से,
वे भी आ रहे उनकी लपेट में।

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इसलिए याद रहे-


नैतिक पतन बढ़ता जाएगा,
संस्कार का दामन छूटेगा जब।
नैतिक पतन बढ़ता जाएगा,
संस्कार का दामन छूटेगा जब।
लाज समाज में नहीं बचेगी,

चरित्र-बल घुटेगा जब।
चरित्र-बल घुटेगा जब ।।
        
 - कृष्ण कुमार कैवल्य।



 

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