Poem on Primary-School in Hindi
Poem on Primary-School in Hindi - "हमारा प्राथमिक स्कूल" बच्चों के लिए एक यादगार कविता है|
इस कविता के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय की असीम महिमा का गुणगान किया गया है| निःसंदेह प्राथमिक विद्यालय विद्यार्थियों की शिक्षा का आधार स्तम्भ है| जिस पर किसी भी व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन टिका होता है| उक्त कविता के केंद्र में केंद्रीय विद्यालय को रखा गया है| यादों के झरोखों से इस कविता को प्रस्तुत करने की मेरी ये एक छोटी सी कोशिश है|
कविता - हमारा प्राथमिक स्कूल
प्राथमिक से माध्यमिक स्कूल में,
हो रहा हमारा गमन।
प्राथमिक से माध्यमिक स्कूल में,
हो रहा हमारा गमन।
चरित्र-निर्माण प्राथमिकता हमारी,
हम सब शिक्षा के हैं श्रमण।
बचपन की दहलीज छोड़कर,
जा रहे हैं किशोर के आंगन।
हम सबके लिए है बेशक,
अधिक चुनौती भरा ये प्रांगण।
एक तरफ बहुत हर्ष हो रहा,
प्रस्थान कर रहे हम ऊंचे वर्ग में।
कुछ ऐसा हम भी रच जाएं,
लिखे जाएं वे भी ‘सर्ग’ में।
बाल वाटिका से वर्ग पंचम तक।
अति प्यारा बचपन का ये पल।
मस्ती भरा रहा कल व आज,
हमारा खोजेगा अवश्य इन्हें कल।
देकर प्रसंग पाठ समझाना।
आपकी दी गई तालीम,
रहेगा सदा बनकर नज़राना।
आपके ज्ञान की सविता का,
विद्यार्थी करेंगे अनुसरण।
सरस्वती समान है आपकी सीख,
ये बातें रहेंगी हमेशा स्मरण।
माता, पिता और गुरू के ऋण को,
क्या कभी चुका सकते हैं हम?
संपूर्ण जगत का धन भी दे दें,
आखिरकार वो भी होगा कम।
सभी शिक्षकों का करते हैं,
तहे दिल से हम सब आभार।
बख़ूबी आपने फर्ज निभाया,
तालीम को दी है एक नई धार।
निःसंदेह कहता है ये ‘हर्ष’,
रहेगा याद यह खास वर्ष।
दिल में सदा रहेंगे आप और
के.वी. का होगा उत्कर्ष।
के.वी. का होगा उत्कर्ष।।
- कृष्ण
कुमार कैवल्य|
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