Interesting Poem on 'Private-School' in Hindi

Interesting Poem on 'Private-School' in Hindi यह  कविता आज की शिक्षा व्यवस्था को उजागर करती है | इसके माध्यम से निजी स्कूल की वास्तविक मंशा प्रदर्शित होती है| जबकि शिक्षा एक अत्यंत पवित्र सेवा है| हमें इसकी गरिमा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए| ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ सख्त से सख्त  सज़ा का प्रावधान हो|

 

प्राइवेट स्कूल


है  स्कूल एडमिशन का टाइम,

जितने पैसे लें नहीं ये क्राइम|

प्राइवेट स्कूल का है ये फंडा ,

शिक्षा बन गया है धंधा|



Photo by Sangga Rima Roman Selia Unsplash


 

अभिभावक के सूख गए चेहरे,

माथे पर उनके चिन्ह हुए गहरे|

कहाँ से लाऊँ इतने पैसे?

इंतजाम होंगे ये  कैसे?

 

जैसे भी हो करने होंगे,

पैसे स्कूल में भरने होंगे|

इस कारण होता है कर्ज,

घर में फिर आता है मर्ज़|

 

कई स्कूल खुले बहुमंजिल,

बच्चों को पता नहीं मंजिल|

ऊँची दुकान फीकी पकवान ये ,

सही अर्थों में बेजान ये|

 

बात सीधी समझो सच्च्चाई,

होगी समय की नहीं भरपाई|

शिक्षा और व्यापार न एक हो,

संचालक के इरादे नेक हों|

 

एक सा नहीं सभी पाठशाला,

सबमें नहीं खोट और  काला|

धर्म अपना ढंग से हैं निभाते,

समाज को भी अच्छे से सुहाते|

 

स्कूल होता है पवित्र स्थल,

बच्चों का गढ़ता ये कल|

समुचित शिक्षा पर हो बल,

न हो कभी बच्चों संग छल|


Image by PixArc from Pixabay

 

नियामक की भूमिका निभाए शासन,

भ्रष्टन का ये गिराए आसन|

सर्वेसर्वा होता है ये,

अन्यथा शाख खोता है ये|

 

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स्कूल के भरोसे कभी  न छोड़ें,

हुनर से सभी बच्चों को  जोड़ें|

मूल्यों का रखें हम सब ध्यान,

ये बच्चे हैं देश की शान|

ये बच्चे हैं देश की शान||

===कृष्ण कुमार कैवल्य===

 

Interesting Poem on 'Private-School' in Hindi से जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ –

मर्ज़ – बीमारी

धर्म – कर्म के लिए प्रयुक्त  शब्द |

ऊँची दुकान फीकी पकवान – जहाँ सिर्फ बाहरी दिखावा हो जबकि गुण, कर्म नगण्य हो|

समुचित शिक्षा – संतुलित शिक्षा, बहुआयामी शिक्षा|

नियामक – नियंत्रण करने वाला |

भ्रष्टन – भ्रष्ट लोगों के लिए प्रयुक्त शब्द|

सर्वेसर्वा  - सब कुछ|

अन्यथा – नहीं तो|

शाख – आधार, विश्वास|

प्रासंगिक – उपयोगी, आवश्यक|


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 Interesting Poem on 'Private-School' in Hindi इस कविता के लिखने के क्रम में स्कूल से जुड़े  कुछ महत्वपूर्ण कथनों को  यहाँ लिखना प्रासंगिक प्रतीत होता है| ये हैं –

1. वो जो स्कूल के दरवाजे खोलता है, जेल के दरवाजे बंद करता है|

-विक्टर ह्यूगो|

 2. शिक्षा स्वतंत्रता के स्वर्ण द्वार खोलने की कुंजी है|

-जॉर्ज वाशिंगटन|

                                                                                     3. शिक्षा की जड़ कड़वी है पर उसके फल मीठे हैं|                                                                                                                                                                                                 -अरस्तु|

                                                                                

 4. ऐसे जीयो जैसे कि तुम्हें कल मर जाना हो, ऐसे सीखो जैसे कि तुम्हें हमेशा के लिए जीना हो|

-महात्मा गाँधी|

 

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