An Interesting-Inspirational Poem on New-Year in Hindi

An Interesting-Inspirational Poem on New-Year in Hindi/नव-वर्ष पर कविता एक चिंतनशील कविता भी  है| जब नया साल आता है तो बड़ा हर्ष-उल्लास अपने साथ ले आता है| लोगों में इस दिन के प्रति बड़ा रोमांच रहता है|

हम सब के मन में पूरे वर्ष का सर्वाधिक सुन्दर व आकर्षक दिवस के रूप में यह दिन प्रतिष्ठापित रहता है| प्रस्तुत है नववर्ष विषय पर मेरी यह कविता -


नव-वर्ष

नव-वर्ष की तिथि एक को
लोग पुलकित हो जाते हैं|
नए साल को अपने ढंग से
सभी जन मनाते हैं|

 

लोगों की अपार ख़ुशी को
देखते ही बनता है|
क्योंकि वर्ष में एक बार
यह शुभ-दिन निकलता है|

 

शुभ-कामनाएं प्रेम-संदेश

बड़े महत्त्व के होते हैं |

खूब होते हैं सैर-विहार 

कड़वी यादों को खोते हैं|

 

लोग कुछ इस प्रकार 

सानिध्य कुदरत का पाते हैं||

मानों वे आवारा बादल
गीत प्रणय के गाते हैं|


Interesting-Inspirational Poem on Near Year in Hindi
 Image by Tom Hill from Pixabay

b

इस प्रकार से यह शुभ-दिन
बड़े जोश से आता है|
और सभी लोगों के मन में
मीठी यादें दे जाता है|

 

पर मौज-मस्ती धूम-धड़ाका

क्या इस दिवस की मौलिकता?

समझे नहीं क्या गहराई

और भूल जाएं हम विशिष्टता?

 


दिन है यह आत्म-मंथन का

सोंचने और समझने का|
संकल्प लेकर बढ़ने का और 

सभी बुराई त्यजने का| 


An Interesting-Inspirational Poem on New Year in Hindi

 Image by Khusen Rustamov from Pixabay

c

इस मंथन से मिली राशि को
कसौटी पर रखने का|
मीठे फल की प्राप्ति हेतु 

नीम-स्वाद भी चखने का|


क्या खोया क्या पाया हमने
इस बात को परखने का|
आज की वस्तुस्थिति से

 

स्वयं को अवगत करने का | 

 

इस दिन की ख़ुशी में हम सब
आनंद लें ढेर सारा|
लें हम सब यह प्रण भी मन में
बनेंगे अवश्य ध्रुवतारा|

 

हे मानव तुम ना समझे तो
अँधेरे में खो जाओगे|
इस अमूल्य जीवन को तुम
बेमोल गँवाओगे|

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इसलिए अपने जीवन को
तुम दो एक नयी धारा|
तुम्हारे उत्कृष्ट कर्म को
रखेगा याद जग सारा|
रखेगा याद जग सारा|

---कृष्ण कुमार कैवल्य|---

 

An Interesting-Inspirational Poem on New-Year in Hindi/नव-वर्ष पर कविता से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ-

पुलकित – खुश, आनंदित्, हर्षित|
सर्वत्र – सभी जगह|
मौज़  – लहर (यहाँ सुन्दरता, आनंद भाव के अर्थ में)
सैर-विहार – घुमना-फिरना|
प्रणय –प्रेम, प्यार से संबंधित|
मौलिकता – मूल तत्व|
विशिष्टता – खासियत|
आत्म-मंथन – स्वयं को टटोलना|
परखना – जांचना|
वस्तुस्थिति – वास्तविकता, सच्चाई|
राशि – निचोड़|
प्रण – प्रतिज्ञा|
ध्रुवतारा – यहाँ अति विशिष्ट स्थान प्राप्त करने के अर्थ में|
अँधेरा – गुमनामी/शून्य के अर्थ में यह शब्द प्रयुक्त| 
अमूल्य – जिसका मोल नहीं लगाया जा सके|
बेमोल – बिना मोल के|
धारा – दिशा|
उत्कृष्ट – विशिष्ट, बहुत ख़ास|

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