Emotional Poem on Mother In Hindi / “माँ” पर कविता

कविता -“माँ” (Emotional Poem on Mother) एक भावना प्रधान रचना है| इस कविता के माध्यम से एक माँ एवं उसके बेटे के बीच के अगाध प्यार को व्यक्त किया गया है| माँ दुनिया में सबसे प्यारी होती है| माता का आँचल सारा आकाश तथा उसकी गोद सम्पूर्ण पृथ्वी होती है| सारा जीवन वो अपने बच्चों को समर्पित कर देती है| हम सब अपनी माँ के लिए कुछ भी कर लें, कम हीं होगा|

कभी ज़िन्दगी में अचानक ऐसा भी होता है; जब माँ सदा के लिए दूर जाने लगती हैं| ऐसी स्थिति में कैसा एहसास होता है, इसे बताने की आवश्यकता नहीं है| इसी के आलोक में एक अस्पताल में तड़पती एवं गंभीर रुप से बीमार माँ के प्रति उसके पुत्र की दिल की आवाज़ है कविता – माँ(Emotional Poem on Mother).

 Image by David Mark from Pixabay


आरज़ू है माँ तुझे बेहतर नींद मिले|
भले सुख कम सही ख़ुशी ज्यादा मिले|
रहना पड़े हमें यहाँ चाहे अधिक दिन,
पर तुम्हें हमेशा की नींद न मिले|


माँ तू है तो सब कुछ है|
मेरी ये दुनिया और मेरा प्यार है|
चाहत मेरी रही है अब बस यही,
तुम बिन मुझे ये जहाँ न मिले|


जागता हूँ मैं तेरी ज़िंदगी की ख़ातिर|
अपने सपनों को जिन्दा रखने की ख़ातिर|
जीत को कर सकूं मैं तुझको अर्पण|
कभी मेरी हार की तुझे ख़बर न मिले|


Please also read the inspirational poem – ‘Who Is Blind‘.


मिले तुमको जग की सारी ये ख़ुशी|
दर्द के कारण न सोंचो तुम खुदकुशी|
आएगा वो सुहाना वक्त जल्द ही ज़रूर|
हमें फिर ऐसे दिन आगे न मिले|

 
Image by Rudy and Peter Skitterians from Pixabay


एक दिन मैं सूरज बन जाऊँगा|
सारे जग पर मैं छा जाऊंगा|
सबको मिल जाए उसका खूबसूरत समाँ|
किसी को भी बिखरा आसमाँ न मिले|


बहुत ही दिया दुःख तुझको माँ मैंने|
चाहा नहीं कभी भी ऐसा तो मैंने|
टूट कर तुमसे मैंने किया है प्रेम|
ये दौलत खोकर भी तेरी जुदाई न मिले|


  आरज़ू है माँ तुझे बेहतर नींद मिले|
भले सुख कम सही ख़ुशी ज्यादा मिले|
रहना पड़े हमें यहाँ चाहे अधिक दिन|
पर तुम्हें हमेशा की नींद न मिले|

—कृष्ण कुमार कैवल्य 


शब्दार्थ –
आरज़ू – इच्छा
ख़ुदकुशी -आत्महत्या
समाँ – दृश्य, मंज़र


Famous quote related to ‘Sentimental poem on mother’ :

“I am sure that if the mothers of various nations could meet, there would be no more wars.”

(“मुझे  पूरा  भरोसा  है  की  अगर  सारे  देशों  की  माएं  मिल  पातीं  तो और युद्ध नहीं  होते|”)

—E. M. Forster ई.एम् फोरस्टर

कुछ बातें :

कविता – माँ” (Emotional Poem on Mother) लिखने के क्रम में मैं यहाँ एक बात कहना चाहता हूँ| आज हमारे देश में कुछ प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं; जो मरीज़ को मरीज़ नहीं बल्कि ‘ग्राहक’ मानते हैं| फ़िर उसके ईलाज के नाम पर मनमानी पैसे ऐंठते हैं| वे मरीज़ रूपी फ़ल सेइच्छा भर रस‘ निकालने के बाद ही उसे ठीक करने की दिशा में ईमानदारी से कदम उठाते हैं| ऐसे अस्पताल मरीज़ के ईलाज-सम्बन्धी सारे प्रमाण बतौर सबूत रखते हैं| वे ये आसानी से साबित भी कर देते हैं कि मरीज़ के ईलाज में अमुक दवा चली, अमुक जांच की गयी, मरीज़ को अमुक परेशानी आ गयी थी| फलतः उसका ऑपरेशन किया गया| फिर एक ऑपरेशन के बाद पुनः एक और ऑपरेशन की ज़रूरत महसूस हुई आदि-आदि| भले ही ये सारे जतन न कर कुछ ही सुधारात्मक उपाय किये गए हों|


दोस्तों, ये बातें आपमें से अनेक लोग जानते हैं| फ़िर भी इन्हें लिखने का मेरा एक ही मकसद है – ऐसे जोंकों (परजीवियों) से सावधान रहें”| सरकारी अस्पतालों में कई कमियां होती हैं| फ़िर भी ये ग़रीब एवं आम आदमी के लिए आज भी वरदान की तरह हैं| अपने गहरे अनुभवों के आधार पर उक्त बातें मैं व्यक्त कर रहा हूँ| हम सभी को सरकारी अस्पतालों की गरिमा को बरक़रार रखने में अस्पताल प्रबंधन की मदद करनी चाहिए|


टिप्पणियाँ