Heart-Touching Inspirational Poem in Hindi – अंधा कौन?
Heart-Touching Inspirational Poem in Hindi – ‘अंधा कौन?’ यह बताना चाहता है कि बिन आँखों वाले तो दुनिया को मन की आँखों से देखते हैं, परन्तु बाकी अधिकतर लोग ‘आँखों वाले अंधे’ होते हैं और वे अपने मन की आँखों को भी बंद किए रखते हैं| ऐसा करने में वे अपना भला समझते हैं| किन्तु वास्तव में ऐसे लोग न सिर्फ दूसरों के लिए निष्ठुर हैं अपितु अपने जीवन में भी तेजी से अँधेरा फैला रहे होते हैं; जहां फिर कभी रौशनी नहीं आती|
” तेरे चेहरे पे नूर कायम रहता ऐ इंसी |
गर तेरे दिल में बहता मुहब्बत का दरिया ||”
ऐसे ही टिस भरे एहसासों को व्यक्त करती है Heart-Touching Inspirational Poem in Hindi – अंधा कौन?
“अंधा कौन”
हम कहते हैं उनको अंधा,
आँखें जिनकी नहीं हैं|
हम जैसे लोगों को ऐसा,
कहना कितना सही है?
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एक लाचार है रोता बिलखता,
नजरें फ़ेर देते हम|
फेंके जूठन खाने वालों को,
देख चल देते हम|
गिर जाता है कोई राह में,
यूँ ही हँस देते हम|
कोई तड़पता है दर्द से,
भाव-शून्य होते हम|
हम कहते हैं उनको अंधा,
आँखें जिनकी नहीं हैं|
हम जैसे लोगों को ऐसा,
कहना कितना सही है?
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हो दिखावा करना तो,
बहुत ही बढ़ जाते हम|
शर्मसार हो रहा हो कोई,
पत्थर बन जाते हम|
हाथ खींचने की जगह जब,
टांग खींचते हैं हम|
लानत है मानव होने पर,
सोंचो हैं कहाँ हम?
हम कहते हैं उनको अंधा,
आँखें जिनकी नहीं हैं|
हम जैसे लोगों को ऐसा,
कहना कितना सही है?
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ऐसे नहीं वे लोग हैं करते,
कहते जिन्हें हम अंधा|
खुद के बनाए राह पे चलते,
हम जैसे नहीं गन्दा|
अंधा कौन अब तुम ही बोलो?
अपनी आँखें खोलो|
न्याय की कसौटी पर तुम,
खुद को अवश्य ही तोलो|
हम कहते हैं उनको अंधा,
आँखें जिनकी नहीं हैं|
हम जैसे लोगों को ऐसा,
कहना कितना सही है?
*** कृष्ण कुमार कैवल्य***
Heart-Touching Inspirational Poem in Hindi – अंधा कौन? से जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ –
आँख वाले अंधे – इसका आशय ऐसे लोगों से है; जो सच्चाई देखकर भी अपनी आँखें बंद कर लेते हैं या ऑंखें फ़ेर लेते हैं|
मन की आँखें – ज्ञान-चक्षु, अनुभूति से सच्चाई व ज्ञान को समझना|
निष्ठुर – निर्दयी, दया रहित|
अपने जीवन में अँधेरा फ़ैलाना – अपने जीवन को दुःखदायी या कष्टकारी बनाना|
टिस – दर्द|
इंसी – मनुष्य, आदमी|
भाव-शून्य – पत्थर-दिल, असंवेदनशील|
पत्थर बनना – कठोर बनना|
हाथ खींचना – गिरते को बचाना, मदद करना|
टांग खींचना – दूसरों को नीचे गिराना, नुकसान पहुंचाना|
लानत है – धिक्कार है|
आँखे खोलना – सच्चाई देखना, सत्य का ज्ञान होना|
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