Sensitive-Realistic Poem on Rivers in Hindi/नदियों पर कविता

Sensitive-Realistic Poem on Rivers in Hindi/नदियों पर कविता- भारतीय नदियों एवं इनकी दशाओं को प्रतिविम्बित करती कविता है| हालांकि अधिकांश देशों की नदियों की स्थिति कमोबेश एक समान है|

खासकर एशियाई तथा अफ़्रीकी देशों में| इंसान अपनी अंधाधुंध ज़रूरतों को पूरा करने की धुन में नदियों पर क्रूर अत्याचार करता जा रहा है| फलतः नदियाँ या तो अपनी बर्बादी की ओर बढ़ रही हैं, या फिर अपना ही शव ढो रही है| कुछ बुद्धिजीवियों की आवाज़ चिल्लाने वालों के शोर में दब कर रह जा रही हैं|

अतः आज ज़रूरत है सार्थक आवाज़ एवं सार्थक पहल की ताकि नदियों को बचाया जा सके| धन्यवाद|

नदियाँ

भारत में नदियाँ अनेक हैं,
इनके गुण हैं अपने-अपने|
कोई हिमालयी कोई प्रायद्वीपीय,
करतीं पूरी सबके सपने|

Sensitive-Realistic Poem on Rivers in Hindi
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घाघरा, गंडक, कोसी, कृष्णा,
सोन, गंगा, सिन्धु, यमुना,
सतलज, ब्रह्मपुत्र, व्यास, रावी,
झेलम, चेनाब, तापी, कावेरी|


इन सबमें गंगा हैं निराली,
गंगोत्री से हैं ये आतीं|
भारत में ये सबसे लम्बी,
पवित्र बहुत ही मानी जातीं|


इनकी अविरल धारा को,
पहुंचाई गयी है काफी क्षति|
हरिद्वार के बाद से इसकी,
बहुत की गयी दुर्गति|


किंतु आस्था के नाम पर,
नदियाँ हो रही हैं मैली|
और व्यवसाय के नाम पर,
ये हो रहीं विषैली|


गंदगी-गाद से भरी हैं नदियाँ,
सफ़ाई पर पैसे पर्याप्त है|
सही उपयोग भला हो कैसे?
भ्रष्टाचार बहुत ही व्याप्त है|


माफ़िया सक्रिय नदी-क्षेत्र में,
नदी नाले बन गए आज हैं|
चारों ओर बस गया है मानव,
गिर रही नदियों पे गाज है|

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नदी-प्रवाह मोड़ रहा है मानव,
नहीं हो रहा इनका हित|
सासें टूट रही हैं इनकी,
कुदरत की नहीं ये रीत|


पूजता है मानव नदियों को,
दूषित भी कर रहा है इनको|
प्राण-वायु घट रही इनमें,
खतरा है जलचर और जन को|


ऐसे में सोचा क्या तुमने?
भला कैसे सभी होंगे स्वस्थ|
तेजी से गिर रही है सेहत,
हो रहे सभी रोगग्रस्त|


हिमनद कई पिघल रहे हैं,
रूकने का नहीं ले रहे नाम|
सूखा, बाढ़, भू-स्खलन आदि,
गलत विकास के हैं परिणाम|

Sensitive-Realistic Poem on Rivers in Hindi

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मैं नदी कहती हूँ तुमको,
मेरे सच्चे लाल बनो|
नहीं संभले अब भी अगर तो,
निश्चित अपना “काल” बनो|
नहीं संभले अब भी अगर तो,
निश्चित अपना “काल” बनो|

+++कृष्ण कुमार कैवल्य+++

 

Sensitive-Realistic Poem on Rivers in Hindi/नदियों पर कविता से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ –

 प्रतिविम्बित करना – छवि दिखलाना, परछाई पड़ना|
प्रायद्वीपीय नदियाँ – भारत के प्रायद्वीप क्षेत्र की सभी नदियाँ (दक्षिण भारत की नदियाँ)|
अविरल धारा – न रूकने वाली धारा, बिना रुकावट के चलने वाली धारा|
माफ़िया – क़ानून विरोधी ( कविता में यह शब्द गैर क़ानूनी कार्य करने वाले लोगों के लिए प्रयुक्त)|
कुदरत – प्रकृति|
रीत – रीति, नियम|
प्राण-वायु – ऑक्सीजन|
जलचर – पानी के सभी जीव|
हिमनद – हिमानी, ग्लेशियर(Glacier)|
भू-स्खलन – ज़मीन का खिसकना|
लाल – संतान के अर्थ में|
काल – अंत, समाप्ति, बर्बादी के अर्थ में प्रयोग|


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