Poem on Mahatma Gandhi in Hindi/ गाँधीजी पर कविता

Poem on Mahatma Gandhi in Hindi – मूलतः गाँधीजी के विचारों को अभिव्यक्त करता है| महात्मा गाँधी का चिंतन (Philosophy of Gandhiji) बहुआयामी है| उनके दर्शन का मूल आधार है – राजनीति का आध्यात्मिकरण| उन्होंने राजनीति में सत्य और अहिंसा का उपयोग कर दुनिया को राजनीति की शुचिता का दर्शन कराया| सत्याग्रह, साधन की पवित्रता, राम-राज्य (आदर्श राज्य), आर्थिक, सामाजिक इत्यादि मामलों पर उनके बिल्कुल स्पष्ट विचार थे| उनका अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण था – “वसुधैव कुटुंबकम”|

इस प्रकार उनके दर्शन में सम्पूर्ण जीवन-मूल्य परिलक्षित होता है|


 गाँधीजी का दर्शन/ Philosophy of Gandhiji


Poem on mahatma Gandhi in Hindi
 https://www.opindia.com/2020/01


कहते हैं कुछ लोग आज ये,
गाँधी सा वे कमज़ोर नहीं|
हिंसा को नकारने वाले,
गाँधी में था ज़ोर नहीं|

 

अप्रासंगिक आज विचार गाँधी के,
उनका अब ये दौर नहीं|
उनके दर्शन पर चलने वालों का,
दुनिया में कहीं ठौर नहीं|

 

लो इस बात से चलता पता,
गाँधी कितने कमज़ोर थे|
एक लकुटी को हाथ में ले,
दिए आंग्ल-सत्ता झकझोर थे|

 

तिलक ने जनता को जगाया,
गाँधी ने उनको सड़क पे लाया|
वीर सेनानियों के प्रयास से
भारत में तिरंगा लहराया|

 

राष्ट्रपिता कहा सुभाष ने,
टैगोर से महात्मा सम्बोधित|
उनका किया हर कार्य था,
सारी मानवता से सम्बंधित|

 

पीर पराई जानने वाला
वैष्णव उनके लिए था|
गंगा-यमुनी तहजीब हमारी
अमन उनको दिए था|

 

उस समय भी हिंसा था,
हिटलर जैसे सवाल भी थे|
स्वयं को साबित करने वाले
गाँधी जैसे लाल भी थे|

 

Gandhi and Hitler
 Image from Migayatri


दुविधा की कोई हालत में,
अंतर्मन की तुम सुन लेना|
कायरता और हिंसा में
हिंसा को तब तुम चुन लेना|

 

अन्याय के राज से
धरा गन्दी हो जाएगी|
आँख के बदले आँख से,
दुनिया अंधी हो जाएगी|

 

काम से नहीं होता कोई छोटा,
सोंच से छोटा होता है|
कर्म-पथ से मुख मोड़ने वाला
मानव अति खोटा होता है|

 

आत्म-शुद्धि हेतु ज़रूरी
उपवास पर रहें सज्जन|
आत्म-संयम की पहली सीढ़ी
रखें स्वाद पर नियंत्रण|

 

दबता नहीं इंसान यहाँ
कार्य की अधिकता से|
बल्कि ऐसा होता यहाँ
कार्य की अनियमितता से|

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दूसरों को उपदेश न दो नर,
उस पर ख़ुद तुम अमल करो|
अच्छी राह जो समाज के लिए,
उस पर चल तुम पहल करो|

 

पूछा किसी ने था कभी उनसे,
जन हेतु क्या सन्देश है?
कहा था उन्होंने तब उनको,
सारा जीवन मेरा सन्देश है|

 

बापू जैसे लोग धरा पर
सदियों में कहीं आते हैं|
सत्य-कर्म से लोगों के
दिलों में वे बस जाते हैं|

 

जब तक जीते ऐसे मानव,
आशीष सभी का पाते हैं|
और देश की ख़ातिर ये
विष पी अमृत दे जाते हैं|
विष पी अमृत दे जाते हैं|

———— कृष्ण कुमार कैवल्य————




Poem on Mahatma Gandhi in Hindi से संबधित शब्दार्थ/भावार्थ –

!शुचिता – पवित्रता
वसुधैव कुटुंबकम – सम्पूर्ण पृथ्वी एक परिवार है|
परिलक्षित होना – प्रकट होना, स्पष्ट दिखाई देना
अप्रासंगिक – अव्यवहारिक
दर्शन – चिंतन, विचार
लकुटी – लकड़ी का डंडा
आंग्ल-सत्ता – ब्रिटिश-सत्ता
तिलक – लोकमान्य बाल गंगाधर  तिलक
वीर सेनानी – स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा
सुभाष – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
टैगोर – गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर
वैष्णव – भगवान विष्णु के अनुयायी
गंगा-यमुनी तहजीब – भारत की मिली-जुली संस्कृति
हिटलर – जर्मन तानाशाह अडोल्फ़ हिटलर
अंतर्मन – अंतरात्मा
धरा – पृथ्वी
‘आँख के बदले आँख’ – ‘जैसे को तैसा’ की नीति
खोटा – निम्न गुणवत्ता, खराब, नकली
सहस्राब्दी – हज़ार वर्ष


गाँधीजी के प्रति दो शब्द – 

महात्मा गाँधी अपने युगीन लोगों से काफी आगे थे| अपनी दृढ़ता एवं दूरदर्शिता के कारण ही वे दक्षिण अफ्रीका और भारत की तत्कालीन अंग्रेज़ी सरकार की नाक में नकेल कसने में सक्षम हो पाए| बापू कुशल राजनीतिज्ञ, विधिवेत्ता, ऊँचे दर्जे का लेखक व महान नेता थे| अर्थात् बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे|


आज विश्व के अनेक देशों के विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में ‘Gandhian Philosophy’ (गाँधी-दर्शन) की पढ़ाई कराई जाती है| साबरमती के संत सच में ‘सहस्राब्दी पुरुष’ (Man of Millennium) हैं|


Philosophy of Gandhiji (as a quote) –  “Where there is love, there is life” (जहाँ प्यार है, वहीं जीवन है).


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