Poem on Gandhi Jayanti in Hindi/ "गाँधी जयंती" पर कविता
Poem on Gandhi Jayanti in Hindi – गाँधीजी पर लिखी गयी एक प्रेरणादायी कविता है| गाँधीजी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| वे ऐसे युगपुरुष हैं जो पूरी दुनिया में पूजे जाते हैं| ऐसे लोग मर कर भी अमर हैं| ब्रिटिश सरकार भी उनका लोहा मानती थी| भारत को स्वतंत्रता दिलाने में उनकी अहम् भूमिका थी|
समाज में रहते हुए भी बापू सन्त-फ़क़ीर जैसे ही थे| जाति-धर्म के बंधन से मुक्त वे ऐसे युगद्रष्टा थे; जिनके बारे में जितना कुछ कहा जाए, कम ही होगा| गाँधी जयंती के अवसर पर इस कविता की प्रस्तुति भी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी| राष्ट्रपिता के जीवन एवं कार्यों को चंद पंक्तियों में रखने की एक छोटी सी कोशिश है मेरी ये कविता – “महात्मा गाँधी”|
“महात्मा गाँधी”
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गाँधीजी जन्मे भारत में,
जिला था पोरबंदर|
इनके जीवन-आदर्श के
प्रतीक रुप तीन बन्दर|
बुरा मत देखो तुम कभी,
बोलो मत बुरा कभी|
सदा पाप से दूर रहो तुम,
सुनो मत बुरा कभी|
सच को ईश् समझते थे बापू,
अहिंसा के थे पुजारी|
नीति संघर्ष-विराम-संघर्ष की
रखा अनंत तक जारी|
नस्ल भेद और रंग के बू को,
अफ्रीका में ही भगाया|
अपने इस पुरुषार्थ के कारण
दिल में सब के समाया|
दृष्टिकोण था राम-राज्य का,
मतलब उसका सुशासन|
कहा अनैतिक है भारत में
फिरंगियों का शासन|
उनका मत था अलग भगत से,
राह भी उनका अलग था|
आग के पथ पर रत थे वे पर,
लक्ष्य न उनका अलग था|
नमक जैसी आम चीज़ को
मुद्दा उन्होंने बनाया|
इंग्लैंड के शासन तक को
उन्होंने था हिलाया|
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ख़िलाफ़त, असहयोग, अवज्ञा,
या भारत छोड़ो आन्दोलन|
प्रचंड धार था इन सबमे,
बना था जन-आन्दोलन|
चूलें हिल गयी थीं ब्रिटेन की,
काँप गया था प्रशासन|
आज़ादी अब दूर नहीं है,
भाप गया था वह शासन|
एक बार चर्चिल ने कहा था,
उनको अधनंगा फ़क़ीर|
भारत रुप में खींचा मोहन ने
ब्रिटिश माथे पे लकीर|
रक्त से लाल नोआखाली में
नंगे पाँव चले थे गाँधी|
हवा घृणा की यहाँ चली,
दंगों की चली थी आँधी|
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श्मशान भूमि कहकर पुकारा,
नफ़रत के इस क्षेत्र को|
और घायल होने से बचाया,
दोनों अपने नेत्र को|
सन 47 को लहराया तिरंगा,
मिल गयी हमें आज़ादी|
पर बापू देख दुखी थे उनको,
जो थे तब उन्मादी|
आज़ादी के जश्न में सारा
डूबा तब भारतवर्ष था|
बंगाल के दौरे पर थे गाँधी,
मन में तनिक न हर्ष था|
बैरी न समझते थे ब्रिटेन को,
गलत था इंग्लिश शासन|
हर मानव था उनका भाई,
चाहते थे स्वशासन|
हे भारत अति पीड़ित व्यक्ति
समझेगा अपना जब तुझको|
होगी वही सच्ची आज़ादी,
होगा अभिमान तब मुझको|
होगा अभिमान तब मुझको||
===कृष्ण कुमार कैवल्य ===
Quotes Of Mahatma Gandhi :
” The weak can never forgive. Forgiveness is the attribute of the strong.”
Poem on Gandhi Jayanti in Hindi से जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ –
. संघर्ष-विराम-संघर्ष –
ये Mahatma Gandhi की स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान की एक रणनीति थी| उनका मानना था कि स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु शुरू से अंत तक केवल संघर्ष करना संभव नहीं है| इसलिए संघर्ष के दौरान अल्प काल का विराम आवश्यक है ताकि जनता उर्जा से पुनः ओत-प्रोत हो सके| इसके बाद फिर संघर्ष जारी रखें और लक्ष्य को प्राप्त कर लें|
- बापू, मोहन, राष्ट्रपिता – महात्मा गाँधी|
- लोहा मानना – शक्ति को समझना, महत्ता समझना|
- ईश् – ईश्वर, ख़ुदा|
- बू – दुर्गन्ध (यहाँ भेद के अर्थ में)|
- पुरुषार्थ – पौरुष होना, वीरता|
- फ़िरंगी – विदेशी|
- भगत – महान क्रांतिकारी भगत सिंह |
- रत – लगा रहना|
- ख़िलाफ़त – ख़िलाफ़त आन्दोलन|
- असहयोग – असहयोग आन्दोलन|
- अवज्ञा – सविनय अवज्ञा आन्दोलन|
- प्रचंड – अति तीव्र|
- चूल हिलना – नींव/आधार कमजोर करना|
- चर्चिल – ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री|
- नोआखाली – तत्कालीन पूर्वी बंगाल का एक दंगा-ग्रस्त क्षेत्र (आज के बांग्लादेश के चटगांव डिवीज़न का एक जिला)|
- दोनों नेत्र – महात्मा गाँधी हिन्दू और मुसलमान को अपनी दोनों आँखें मानते थे|
- सन 47 – 1947 ईस्वी|
- उन्माद – एक प्रकार का पागलपन भरा व्यवहार|
- जश्न – ख़ुशी, हर्ष|
- बैरी – शत्रु, दुश्मन|
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