Poem on Memory of Mother in Hindi
Poem on Memory of Mother in Hindi – “माँ तू कहाँ?” माता की महानता को रेखांकित करती
ह्रदय को झकझोर देने वाली कविता है|
जीवन
में माँ का स्थान क्या है; यह हम सभी जानते हैं। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे
सफलता की ऊंचाइयों को छुएं। वे बच्चे सौभाग्यशाली होते हैं; जिन्हें अभिभावक का
साथ जीवन में लंबे समय तक मिलता है।
हम
अपने करियर में चाहे जिस भी ऊंचाई को छुएं, माता- पिता का स्थान हर चीज से ऊपर ही है।
मैंने इस कविता के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश की है| कविता में माता के प्रति असीम
प्रेम की झलक मिलती है। साथ ही यह कविता अतीत और वर्तमान को मार्मिक तरीके
से सामने लाती है|
मुझे लगता है कि हम चाहे जिंदगी के किसी भी
मुकाम पर हों, माता-पिता
सदा आगे बढ़ाने में हमारी मदद ही करते हैं। माता-पिता का न होना कितना पीड़ादायक होता है, यह कल्पना से परे है। इस सच्चाई का
सामना तो एक न एक दिन सबको करना ही पड़ता है।
इस
प्रेरणादायी कविता में "सिविल सेवा परीक्षा और विशेषकर माँ" को रेखांकित
किया गया है।
आशा करता हूं प्रस्तुत कविता प्रेरणा प्रदान करने के साथ-साथ अपनों के प्रति असीम
श्रद्धा एवं प्रेम का भी संचार करेगा।
धन्यवाद।
कविता – “माँ तू कहाँ?”
(जुस्तजू जिसकी थी मुझको,
मैंने उसको पा भी लिया।) - 2
पर पाकर भी खोया लगता सब,
एक तू जो नहीं ओ प्यारी माँ|
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तेरी याद बहुत आती है,
यादों की चादर में तू।
ये सुंदर बिस्तर नहीं भाता,
बेजार सी दुनिया सारी माँ।
आज दिखावा चहुँओर है,
सादगी की मूरत थी तू।
आती याद मिट्टी से लिपटी
तेरी सुगंध भरी वो साड़ी माँ।
अटूट रिश्ता तेरा मेरा था,
जानता है ये जग सारा।
रोग-शोक सब दुम दबाते,
था ख़ूब बुलंद तेरी यारी माँ।
थे पढ़ने को बिल्कुल नहीं पैसे,
बेच दिए तुमने गहने।
संग मेरे देखे तूने सपने,
"सिविल सेवा" की वो तैयारी माँ।
बड़े ध्यान से थी तू देखती,
शतरंज भरे इस जग के खेल।
रही जीतती हमेशा दूजे से
मुझसे सदा तू हारी माँ।
मूल्य बिना जीवन बेकार है,
था ज़िदगी का ये दर्शन।
प्रेम के आगे झुकना सिखाया,
सीखा तुझसे खुद्दारी माँ।
(नहीं आज कहीं भी इस जग में
हर सांस में है तू रची बसी)-2
मिलना चाहता हूँ तुझसे पर,
कुदरत की है लाचारी माँ।
सारी दुनिया से प्यारी माँ।
सारी दुनिया से प्यारी माँ।।
- कृष्ण कुमार कैवल्य।
Poem on Memory of Mother in Hindi – “माँ तू कहाँ?" से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ –
जुस्तजू
– तलाश,
खोज|
बेजार
– अप्रसन्न, खिन्न, नाराज़|
चहुँओर
– चारों ओर|
बुलंद
– ऊँचा मकाम,
बहुत ऊँचा,
उन्नत|
खुद्दारी
– स्वाभिमान, आत्मसम्मान|
इतिश्री
– समाप्त, अंत, ख़त्म होने का सूचक|
Poem on Memory of Mother in Hindi – “माँ तू कहाँ?" से संबंधित कुछ बातें –
दोस्तों, इस कविता में सिविल सेवा परीक्षा की चर्चा
महत्वपूर्ण रूप से की गयी है| इसलिए मैं इस परीक्षा के सन्दर्भ में कुछ
संक्षिप्त बातें बताना चाहता हूँ ताकि कविता का पूरा रेखाचित्र आपके सामने आ सके|
सिविल सेवा परीक्षा भारत का सर्वाधिक प्रतिष्ठित परीक्षा है। इसे हम आमतौर पर IAS EXAMINATION के नाम से भी जानते हैं। सामान्यतः इस परीक्षा के प्रति जोश/जुनून (Craze) भारत के अधिकांश युवाओं में होता है। यह परीक्षा अपने आप में ही कठिन मेहनत, सही रणनीति के साथ नियमित तैयारी, धीरज, संयम और संघर्ष की शिक्षा देती है।
"असफल होकर भी परीक्षार्थी सफल ही होते हैं। क्योंकि यह परीक्षा उनका अन्य लोगों से अलग एक विशिष्ट पहचान बनाने में मदद करती है और जीवन के प्रति एक बेहतर नजरिया प्रदान करती है।" मेरी इस बात को वे बेहतर समझ सकते हैं; जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की है।
इसकी तैयारी में अपनों का साथ बहुत मायने रखता है। तैयारी के दौरान बहुत कुछ त्याग और समर्पित करना पड़ता है। यह परीक्षा सही अर्थों में हमसे बहुत कुछ छिनती है और बहुत कुछ प्रदान कर जाती है। परन्तु सफ़लता के बाद भी अपनों का होना अत्यावश्यक है| क्योंकि ख़ास तौर पर उन्हीं के साथ हम अपनी खुशियाँ बाँटते हैं|
इतिश्री|🙏
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