Short-Poem on Animals and Birds in Hindi
Short-Poem on Animals and Birds in Hindi - “पशु-पक्षियों की बेबसी” कविता यह संदेश देती है कि हमें हर प्रकार की हिंसा का त्याग करना चाहिए|
हिंसा उसी अर्थ में उचित है जो विधि- सम्मत हो| मानवता की रक्षा सर्वोपरि है| परन्तु जब हम मानव अनावश्यक रूप से या भोजन के लिए भी पशु-पक्षियों की हत्या करें; तो ये बिलकुल अनुचित ही है| क्योंकि मांसाहार मनुष्य के शरीर के लिए सर्वथा अनुचित व हानिकारक है| जबकि शाकाहार पूरी तरह उचित, स्वीकार्य एवं कल्याणकारी है| सच में क्या मनुष्य मानव-धर्म निभा रहा है.......?
“पशु-पक्षियों की बेबसी”
पशु-पक्षियों ने हमेशा से
निःसंदेह यही सीखा है|
पशु-पक्षियों ने हमेशा से
निःसंदेह यही सीखा है|
जश्न, त्यौहार में उन सबका
मर जाना ही लिखा है|
बाँटते लोग असीम हँसी-खुशी,
उनका जीवन पर फ़ीका है|
बेबस होकर केवल और केवल
उन्होंने बस चीखा है|
बड़े उत्साह से लोग माँगते दुआ,
पढ़ता कोई पवित्र टीका है|
बड़े उत्साह से लोग माँगते दुआ,
पढ़ता कोई पवित्र टीका है|
निर्बल पर सबल हैं हावी,
ये प्रश्न बाणों से तीखा है|
निर्बल पर सबल हैं हावी,
ये प्रश्न बाणों से तीखा है|
** कृष्ण कुमार कैवल्य **
Short-Poem on Animals and Birds in Hindi – “पशु-पक्षियों की बेबसी” से संबंधित शब्दार्थ/भावार्थ –
Ø टीका – किसी
पुस्तक/ग्रन्थ/रचना/पद का अर्थ स्पष्ट करने हेतु लिखी बातें(आख्यान)|
Ø जश्न – जलसा, उत्सव|
Ø बेबस – लाचार, मजबूर|
Short-Poem on Animals and Birds in Hindi – “पशु-पक्षियों की बेबसी” से संबंधित कुछ अन्य बातें -
मित्रों, प्रश्न केवल पशु-पक्षियों की हत्या तक
ही सीमित नहीं है| पशुओं के प्रति की जाने वाली क्रूरता के इन चरणों को
जरा समझें –
पशु-पक्षियों की स्वतंत्रता छीन कर उनको जबरन बंदी बनाना, अपने अधीन उनको जन्म से बड़े होने तक रखना| बकरी, मुर्गी आदि जीवों को उनकी हत्या कर गर्म पानी में धोना, टुकड़े-टुकड़े करना और पुन: धोकर पकाना और मजे लेकर खा जाना| वहीं कई लोग ऐसे जानवरों के खून का केक बनाकर बड़े चाव से खाते हैं|
कमोबेश थोड़े परिवर्तनों के साथ पूरे
विश्व में पशु- पक्षियों के प्रति यही हाल है|
ऐसा सारे पशु-पक्षियों के साथ तो नहीं पर कई सारे पशु-पक्षियों
के साथ होता है|
मैं यह कहना चाहता हूं कि सिर्फ एक बार खुद को कल्पना में ही सही; उनकी जगह
रख कर देखें|
आपको 100% जवाब मिल जाएगा कि आप कितना ज्यादा
अत्याचार इन जीवों पर कर रहे हैं|
मेरी उक्त बातें यदि किसी को उचित ना लगे तो मैं
क्षमा प्रार्थी हूं| लेकिन जब आप इस मुद्दे पर व्यापक रूप से तथा गहराई से मंथन करेंगे तो उस वक्त आप समझेंगे कि मैं कितना सही हूँ और कितना गलत|
धन्यवाद|
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