Poem on Guru Tegh-Bahadur in Hindi
Poem on Guru Tegh-Bahadur in Hindi - सिखों के नवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी के त्याग, बलिदान, देशभक्ति, एवं उनके मानवीय मूल्यों को प्रदर्शित करती एक कविता है| गुरु तेग ने सत्य, धर्म, अपने सिद्धांतों व मानवता की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी| उनका अमर बलिदान सदा-सदा के लिए अविस्मर्णीय रहेगा| गुरु तेग बहादुर - गुरु तेग बहादुर थे महान योद्धा पर औरंग की आंखों के तीर। आलमगीर ने गुरु को बनाया बंदी , हद से ज्यादा गया वो गिर| तेग बहादुर को तोड़ने हेतु किये औरंग ने अथक उपाय। लेकिन गुरु थे उसके सामने , परम वीरता के पर्याय। A I Image of Aurangzeb भाई मती दास , सती दास , दयाल जी को तड़पाकर आलमगीर ने मारा। अविचल , अड़िग थे तेग बहादुर , गुरु - साहस के आगे औरंग हारा। हद से ज्यादा था शंकालु , धर्मांध बन गया आलमगीर। जिंदापीर उपाधि कहने को , समझा वो कहां पराई पीर ? भारत - भूमि को गुरु तेग बहादु...