Motivational-Inspirational Story on Humanity in Hindi
Motivational-Inspirational Story on Humanity in Hindi- "सब कुछ यहीं है” इंसान के दिल में प्रेम और मानवता जगाती कहानी है|
कहानी कुछ इस प्रकार है -
एक गाँव में मुख्य सड़क के समीप बहुत बड़ा मंदिर था| उसमें दिन भर लोग आते जाते रहते थे| उस मंदिर के पुजारी बड़े नेक व्यक्ति थे| वे अपना जितना समय पूजा में लगाते; उससे ज्यादा आध्यात्मिक चिंतन में रत रहते थे| शायद इसी कारण से उनके चेहरे पर विशेष तेज प्रतिविम्बित होता था| उनकी दूरदृष्टि जग प्रसिद्ध थी| न सिर्फ हिंदु अपितु सभी धर्मों के लोग उनका बहुत आदर करते थे| अपने धवल पीले वस्त्रों के कारण लोग उन्हें “पीताम्बर बाबा” के नाम से जानते थे|
समय बीतता गया| ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करते हुए उन्होंने अपने जीवन के साठ साल पूजा कार्य में दिए| पर इस कार्य से वे उतने संतुष्ट नहीं थे: जितना जन सेवा, परोपकार जैसे कार्यों से| लोग उनसे अपनी समस्याओं का समाधान पूछते| और वे न केवल उनका शंका निवारण करते; अपितु शारीरिक, मानसिक और थोड़ी-बहुत आर्थिक मदद भी करते| उनके पास अपना कुछ भी न था और न ही वे अपने लिए कुछ रखते थे|
एक दिन की बात है| सुबह-सुबह वे स्नान करके पीपल के पेड़ में जल डालने जा ही रहे थे कि उन्होंने देखा कि करीब तीन साल का एक बच्चा कंचा (काँच की गोली) खेलते-खेलते रोड पर चला गया है| सामने से एक ट्रक तेजी से आ रहा था| उन्होंने उस बच्चे को रोड से हटने के लिए जोर से आवाज़ लगाईं| पर बच्चा खेलने में मगन था|
पीताम्बर बाबा को अत्यधिक चोट लग चुकी थी| वे
बुरी तरह लहूलुहान हो गए थे| उनको बचाने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा| ट्रक ड्राईवर जो भागने की कोशिश कर रहा था;
ग्रामीणों द्वारा पकड़ लिया गया| उसे लोगों ने पीटना शुरू ही किया था| पर बाबा ने लोगों
से हाथ जोड़कर उसे छोड़ देने का इशारा किया| वो दौड़कर आया और बाबा के पैरों पर गिर कर
रोने लगा| बाबा उसे अभय मुद्रा में देख रहे थे|
उसने लोगों की मदद से अपने ट्रक पर बाबा को बैठा कर
अस्पताल ले जाना चाहा| पर बाबा ने इंकार कर दिया| उनकी आँखें बंद हो
रही थीं| उन्होंने लोगों से कहा – आप लोग इसे माफ़ कर
देंगें और अपनी सुझबुझ से इसे जेल जाने से भी बचा लेंगे|
लोगों ने
रोते हुए हामी भरी|
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वहीं मौज़ूद एक
ग्रामीण शमीम अनवर ने बाबा से रोते हुए कहा - बाबा, क्या आप हमलोगों से कुछ कहना चाहते
हैं?
पीताम्बर
बाबा ने अपने दर्द को बर्दाश्त करते हुए कहा – याद रहे, दुनिया
में इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है| वो अभी और कुछ कहना चाहते थे, किन्तु उनकी साँसें इजाजत नहीं दे रही थीं| फिर उन्होंने बहुत धीमी आवाज़ में बस इतना भर कहा – मेरी
खाट पर एक डायरी है| उसमें मैंने पिछले गाँधी जयंती के दिन एक कविता लिखी है| आप लोग मेरी मिट्टी के पश्चात्
कभी समय निकालकर उसे पढ़ लेंगे| इतना कहते ही उनकी साँसें सदा के लिए थम गयीं| बड़े ही गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया गया|
अगले दिन उनकी
डायरी खोल कर शमीम अनवर ने सभी के सामने उस कविता को पढ़ा| उसमें लिखा था –
“सब कुछ यहीं है”
कहीं कुछ नहीं सब कुछ यहीं है|
कहीं कुछ नहीं सब कुछ यहीं है|
बनाया ख़ूब बेवक़ूफ़; धरा के अधीशों ने,
केवल उनके पास फ़र्जी हिसाब बही है|
कहीं कुछ नहीं सब कुछ यहीं है|
कहीं कुछ नहीं सब कुछ यहीं है|
ज़मीं को छोड़ जहन्नुम-जन्नत क्या सच में कहीं है?
ज़मीं को छोड़ जहन्नुम-जन्नत क्या सच में कहीं
है?
ढूंढा उन्हें ख़ूब परन्तु वो कहाँ सही है?
जहाँ भी रहेगा मानव; स्वर्ग-नर्क वहीं है|
कहीं कुछ नहीं सब कुछ यहीं है|
कहीं कुछ नहीं सब कुछ यहीं है|
( इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है और ईश्वर शक्ति -रूप में कण-कण में हैं )|
इतना पढ़ने के पश्चात् अधिकांश लोगों के चेहरे पर एक विचित्र भाव दिखाई पड़ा| सभी ख़ामोश थे| कुछ देर बाद गाँव के मुखिया ने कहा - बिलकुल ठीक लिखा है पीताम्बर बाबा ने| अब ये हर व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वे इसे किस रूप में लेंगे|
(फिर थोड़ा रूककर कहा ) - कम से कम इस बात से तो पूरी दुनिया सहमत होगी कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है |
सभी ने सिर हिलाया| फिर कुछ देर में गाँव के वहां से जाने लगे|
वहीं बैठे ट्रक ड्राईवर ने शमीम अनवर से कहा कि भले ही बाबा ने उसे क्षमा कर दिया, पर वो अपने आप को माफ़ नहीं कर पा रहा है| आगे उसने कहा - अच्छा भाई, भूल-चूक माफ़ करना|
बाबा के कमरे के पीछे ही एक बड़ा सा तालाब था| चेहरे पर शून्य भाव लिए ट्रक ड्राईवर ने उस तालाब में नीचे की ओर धीरे-धीरे उतरना शुरू किया और उतरते चला गया| और फिर आँखों से ओझल हो गया|
थोड़ी ही देर में गाँव के लोगों के बीच हलचल सी हुई| सबने तालाब में उस ड्राईवर की तैरती लाश देखी|
अपने देह में जल रही पश्चाताप की अग्नि को उसने उस तालाब में खुद को डुबो कर बुझा दिया |
- कृष्ण कुमार कैवल्य |
Motivational-Inspirational Story on Humanity in Hindi- "सब कुछ यहीं है” से जुड़े शब्दार्थ/भावार्थ-
- धवल - उज्ज्वल
- पीताम्बर - पीले वस्त्र धारण करने वाला
- खाट - खटिया
- अधीश - स्वामी, मालिक, राजा
- जहन्नुम- नरक
- जन्नत - स्वर्ग
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