Sensitive Poem on Human in Hindi – “इंसान”

 
Sensitive Poem on Human in Hindi – “इंसान” मानव के विकृत स्वभाव को बयाँ करती एक छोटी कविता हैI

दुनिया में सभी लोग एक जैसे नहीं होतेI  कुछ लोग दोहरे चरित्र वाले होते हैंI अर्थात् कथनी कुछ और एवं करनी कुछ औरI वे दिखते हैं कुछ और जबकि होते हैं कुछ औरI ऐसे लोग खुद तो अशांत रहते हैं, दूसरों की खुशियों को भी निगल जाते हैंI

ज़रूरत है इंसान स्वयं को समझेI वो जो बोएगा, वही पाएगाI इसलिए जीएं और जीने देंI इस सन्दर्भ में प्रस्तुत है यह लघु कविता – इंसानI

 

इंसान

हर वस्तु वैसा होता है,

जैसा बिल्कुल वह दिखता हैI

हर वस्तु वैसा होता है,

जैसा बिल्कुल वह दिखता हैI

इंसान ही ऐसा है जानवर,

बात-बात पर बिकता हैI




 

बाहर से कुछ और है होता,

अन्दर से कुछ औरI

धीर-गंभीर बड़ा दिखने वाला,

पल भर भी नहीं टिकता हैI

 

छोड़ ख़ामोशी चुनता कोलाहल,

रखता शान्ति की है चाहI

कूद अपनी ही कब्र में,

रोता बहुत व चीखता हैI


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रक्त बहाता है दूजे का,

तनिक दया नहीं आतीI

अपने पाप और अपयश को,

बारंबार मिटाता, लिखता हैI




 

पर सच्चा मानव है जो इंसान,

जीवन उसका दूजे के नामI

लिया शपथ तो किया वो पूरा,

वचन से नहीं डिगता हैI

लिया शपथ तो किया वो पूरा,

वचन से नहीं डिगता हैI

- कृष्ण कुमार कैवल्यI

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