Poem on Exit Poll in Hindi

 

Poem on Exit Poll in Hindi – यह कविता चुनाव परिदृश्य के इर्द-गिर्द एक राजनीतिक कविता है|

एग्ज़िट पोल एक सर्वेक्षण होता है| मतदान करने के पश्चात विभिन्न समाचार समूहों/एजेंसियों या किन्हीं संस्थाओं द्वारा वोटिंग कर चुके लोगों की राय लेकर यह सर्वे तैयार किया जाता है| यह अनुमान के आधार पर तैयार किया जाता है|

 हालांकि एग्ज़िट पोल विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग लोगों से बात करके गंभीर चिंतन व विश्लेषण के आधार पर तैयार किया जाता है| बावज़ूद इसके भारत में एग्ज़िट पोल का इतिहास अच्छा नहीं रहा है| कई बातों को समेटती यह कविता अपने आप में काफ़ी रोचक है| जो इस प्रकार है -

 

कविता – “एग्ज़िट पोल

 

बहुत ज्यादा वोल्ट में रहता

 है एग्ज़िट पोल|

 बहुत ज्यादा वोल्ट में रहता

 है एग्ज़िट पोल।

 चुनाव बाद ही खुल जाता है;

सारे इसके पोल।

 




खूब ढिंढोरा है ये पीटता,

सटीक नहीं कुछ इस जैसा।

स्थिति दलों की होगी ऐसी;

 हुआ न पहले कभी ऐसा।

 

करना भविष्यवाणी इसकी फितरत;

खूब है बुनता जाल।

और प्रायिकता के आधार पर

है ये बजाता गाल।

 

चुनाव के पहले चरण से,

शुरू होता है खेल।

होता झुकाव किसी ख़ास के लिए,

ताकि विपक्षी निश्चित हो फेल।

 

गिरगिट को बताता डायनासोर,

 सागर को बताता झील।

 ब्रेनवॉश है इसका काम

 हैं चहेते जाते खिल।

 

यह तमाशा है बरसों से,

इसका पहले भी निकला तेल।

बेवजह देते लोग तवज्जो

बनता ये हवाई रेल।

 

अलग बात है रैंडम सर्वे,

तथ्य आधारित अनुमान लगाना।

पर यहां बात कुछ और है होता,

है अपना भी तो दाल गलाना।

 

एग्ज़िट पोल को लो हल्के में,

 मानो ये छद्म सट्टा बाजार।

एग्ज़िट पोल लो हल्के में,

मानो ये छद्म सट्टा बाजार।

 




 बेसब्री इतनी नहीं होती अच्छी,

तेरे पास ज़रूरी काम हजार।

बेसब्री इतनी नहीं होती अच्छी,

तेरे पास ज़रूरी काम हजार।

            - कृष्ण कुमार कैवल्य|

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